तेरा होना इस दुनिया में,
मेरे सामने तेरा ज़िक्र होना-
फर्क इतना तो नहीं पड़ता मुझे,
पर हल्का सा तो पड़ता है।
एक बात जिसको कहना अब जयाज़ नहीं,
आँखों के किनारों से अक्सर ही गिर जाती है।
हम अब मुखातिब होंगे नहीं,
ये बात सताती है, पर कम सताती है।
तो तेरी आवाज़ तेरा लह्ज़ा,
लोग अब भी सुन पाते हैं;
इस बात से,
फर्क इतना तो नहीं पड़ता मुझे,
पर हल्का सा तो पड़ता है।
एक टुटा क्लिप तेरे बालों का,
एक तिजोरी सी में रखा है।
और एक टुटा नाता तेरा-मेरा,
सिरहाने पर।
ख्वाबों में तेरा मिलना, पलटना बुलाने पर- काफ़ी तो है।
मैं समझाता हूँ खुद को-
पर कुछ लोग तुझ से हकीकत में मिल पाते हैं;
इस बात से
फर्क इतना तो नहीं पड़ता मुझे,
पर हल्का सा तो पड़ता है।
मेरे सामने तेरा ज़िक्र होना-
फर्क इतना तो नहीं पड़ता मुझे,
पर हल्का सा तो पड़ता है।
एक बात जिसको कहना अब जयाज़ नहीं,
आँखों के किनारों से अक्सर ही गिर जाती है।
हम अब मुखातिब होंगे नहीं,
ये बात सताती है, पर कम सताती है।
तो तेरी आवाज़ तेरा लह्ज़ा,
लोग अब भी सुन पाते हैं;
इस बात से,
फर्क इतना तो नहीं पड़ता मुझे,
पर हल्का सा तो पड़ता है।
एक टुटा क्लिप तेरे बालों का,
एक तिजोरी सी में रखा है।
और एक टुटा नाता तेरा-मेरा,
सिरहाने पर।
ख्वाबों में तेरा मिलना, पलटना बुलाने पर- काफ़ी तो है।
मैं समझाता हूँ खुद को-
पर कुछ लोग तुझ से हकीकत में मिल पाते हैं;
इस बात से
फर्क इतना तो नहीं पड़ता मुझे,
पर हल्का सा तो पड़ता है।
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