आजकल... तेरा ख्याल भी डांटता है मुझे।
शाम Bruno को छत पर घुमा रहा था- तो मिला।
छूटते ही बोला,
दिन में दस दफ़े तो बुला लेते हो,
कोई और काम नहीं है?
तब तो टशन से बोला था-
"नहीं मिलना तुझसे..."
अब! तुम्हे एक पल भी आराम नहीं है।
चाहते क्या हो?
मैं क्या कहता उससे?
क्या समझाता?
तू होती तो एक मज़े की बात बतानी थी- Gossip!
उसको तो क्या ही बताता।
मैं तो बस खुश था,
कि एक बार बुलाने पर, वो आया था।
तेरा गुस्सा... शायद देखने को
अब कभी ना मिले।
ये ख्याल अक्सर मिलता रहेगा,
तेरा ख्याल... जो डांटता है मुझे।।
शाम Bruno को छत पर घुमा रहा था- तो मिला।
छूटते ही बोला,
दिन में दस दफ़े तो बुला लेते हो,
कोई और काम नहीं है?
तब तो टशन से बोला था-
"नहीं मिलना तुझसे..."
अब! तुम्हे एक पल भी आराम नहीं है।
चाहते क्या हो?
मैं क्या कहता उससे?
क्या समझाता?
तू होती तो एक मज़े की बात बतानी थी- Gossip!
उसको तो क्या ही बताता।
मैं तो बस खुश था,
कि एक बार बुलाने पर, वो आया था।
तेरा गुस्सा... शायद देखने को
अब कभी ना मिले।
ये ख्याल अक्सर मिलता रहेगा,
तेरा ख्याल... जो डांटता है मुझे।।
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