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The Winter Rain.

“The faded colors of life, the dim beams of light, strange is to see, the drenched world with liquid eyes” It was a winter rain… She...

Sunday, November 18, 2012

तैखाना।

एक तैखाना है मुझमें,
जहाँ मैंने, तेरे-मेरे संग के
कुछ सपने कभी रखे थे।
सपने जो अब कुछ सीले से हैं।
इतने सीले, की छूने  से टूट जाते है...
गीले कागज़ से।

जाने कैसे सील गये?
पलकों पर शायद ज्यादा ही रोक लिए थे आँसू,
कि रिस्ते-रिस्ते उस तैखाने तक पहुँच गये।

पर वो जो सपना था ना!
तेरे नए ठिकाने पर,
रातों में रुकने आने का।
वो कुछ कम सीला सा है।
नया भी सबसे वोही तो था।

उसे मैं अक्सर आँखों में ले आता हूँ...
कुछ मुस्कराहट की गर्माहट दे देता हूँ।
नया सा हो जाता है...
फिर संभाल के रख देता हूँ वापस,
वो जो तैखाना है मुझमें ना- उसमें।।


"तू सोए तो तुझसे किसी ख़्वाब में आकर मिलूँ;
हक़ीकत तो नाराज़ है  हमसे शायद,
मिलने का मौका ही नहीं देती।।"

      
  

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